Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2024 · 1 min read

बाजारवाद

बाजारवाद
बाजार में प्रगति की रेंज,
व्यक्तिगत वित्त का खेल।
कुछ लोग बाजार में प्रगति करते हैं,
कुछ लोग गंभीर हार करते हैं।

कुछ लोग बाजार को जानते हैं,
कुछ लोग बाजार को नहीं जानते हैं।
कुछ लोग बाजार के लिए काम करते हैं,
कुछ लोग बाजार के लिए नहीं काम करते हैं।

बाजार में कई प्रकार के लोग हैं,
कुछ लोग वित्तीय प्रबंधकों में हैं,
कुछ लोग व्यवसायी हैं,
कुछ लोग सामान्य लोग हैं।

बाजारवाद की कला है,
व्यक्तिगत वित्त का खेल।
कुछ लोग बाजारवाद में सफल हो सकते हैं,
कुछ लोग बाजारवाद में विफल हो सकते हैं।
कार्तिक नितिन शर्मा

101 Views

You may also like these posts

पुस्तक अनमोल वस्तु है
पुस्तक अनमोल वस्तु है
Anamika Tiwari 'annpurna '
तूं ऐसे बर्ताव करोगी यें आशा न थी
तूं ऐसे बर्ताव करोगी यें आशा न थी
Keshav kishor Kumar
पति पत्नी संवाद (हास्य कविता)
पति पत्नी संवाद (हास्य कविता)
vivek saxena
आग ..
आग ..
sushil sarna
*संवेदना*
*संवेदना*
Dr. Priya Gupta
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
ज़िन्दगी लाज़वाब,आ तो जा...
ज़िन्दगी लाज़वाब,आ तो जा...
पंकज परिंदा
परमात्मा
परमात्मा
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
बूढ़ा बापू
बूढ़ा बापू
Madhu Shah
दिल का दर्द, दिल ही जाने
दिल का दर्द, दिल ही जाने
Surinder blackpen
बचपन में मेरे दोस्तों के पास घड़ी नहीं थी,पर समय सबके पास था
बचपन में मेरे दोस्तों के पास घड़ी नहीं थी,पर समय सबके पास था
Ranjeet kumar patre
आप से दर्दे जुबानी क्या कहें।
आप से दर्दे जुबानी क्या कहें।
सत्य कुमार प्रेमी
Perfection, a word which cannot be described within the boun
Perfection, a word which cannot be described within the boun
Chaahat
बोलती आँखें
बोलती आँखें
Awadhesh Singh
ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
Atul "Krishn"
ऐसी तो कोई जिद न थी
ऐसी तो कोई जिद न थी
Sumangal Singh Sikarwar
कविता बिन जीवन सूना
कविता बिन जीवन सूना
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
LEAVE
LEAVE
SURYA PRAKASH SHARMA
अभिषेक कुमार यादव: एक प्रेरक जीवन गाथा
अभिषेक कुमार यादव: एक प्रेरक जीवन गाथा
Abhishek Yadav
परमूल्यांकन की न हो
परमूल्यांकन की न हो
Dr fauzia Naseem shad
मां का दर रहे सब चूम
मां का दर रहे सब चूम
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
बचपन
बचपन
सिद्धार्थ गोरखपुरी
यह मेरी मजबूरी नहीं है
यह मेरी मजबूरी नहीं है
VINOD CHAUHAN
2770. *पूर्णिका*
2770. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"शौर्य"
Lohit Tamta
थोड़े योगी बनो तुम
थोड़े योगी बनो तुम
योगी कवि मोनू राणा आर्य
क्या रावण अभी भी जिन्दा है
क्या रावण अभी भी जिन्दा है
Paras Nath Jha
आत्मज्ञान
आत्मज्ञान
Shyam Sundar Subramanian
" कसम "
Dr. Kishan tandon kranti
!! ये सच है कि !!
!! ये सच है कि !!
Chunnu Lal Gupta
Loading...