बांट कर खाने की सीख
बांट कर खाने की सीख
रेलगाड़ी में सफर करते-करते राजबीर ने चने का लिफाफा निकाला और खाने लगा।
खाते-खाते चने का लिफाफा सहयात्री की ओर करके कहा, “थोड़ा लीजिए प्लीज।”
सहयात्री आंखे निकाल कर झिड़कते हुए बोला, “नहीं खाने तेरे चने।”
बाकी सवारियों की भावभंगिमा भी बदल गई। पास बैठी औरत भी अपने बेटे के कान में कह रही थी, “सफर में किसी से कोई चीज लेकर नहीं खानी चाहिए। हो सकता है नशीला पदार्थ मिला रखा हो। खिला कर सारा सामान लूट ले जाए। ऐसी घटनाएं हर रोज समाचार-पत्रों में आती रहती हैं।
इस घटनाक्रम से राजबीर बहुत ही असहज व अपराध बोध से ग्रस्त हो गया। अपने पूर्वजों की बांट कर खाने की सीख पर चिंतन-मनन करने लगा।
-विनोद सिल्ला