बाँके की छटा (मत्त सवैया -ब्रज भाषा)
🙏
!! श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
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बाँके की छटा
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टेढ़ौ धारै है मुकट भाल ,
टेढ़ी सी नार लगै प्यारी ।
टेढ़े ही कुंडल लटक रह्ये,
टेढ़ौ ही ठाड़ौ बनवारी ।।
टेढ़ी बाँसरिया धार रखी ,
टेढ़ी कटि पीताम्बरधारी ।
टेढ़े पामन नीकौ लागै ,
टेढ़े बाँके पै बलिहारी ।।3
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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