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11 May 2024 · 1 min read

बह्र 2212 122 मुसतफ़इलुन फ़ऊलुन काफ़िया -आ रदीफ़ -रहा है

गिरह
चाहत की बानगी से
अपना बना रहा है।
१) देखो वो जा रहा है।
झगड़ा मिटा रहा है।
२) वादा किया जो उसने
पूरा निभा रहा है।
३) हाथों से ख़ुद ही अपनी
मय्यत सजा रहा है।
४) तेरी ही नज़्म नग़में
वो गुनगुना रहा है।
५) ये कौन फिर से ‘नीलम’
दर खटखटा रहा है।
नीलम शर्मा ✍️

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