बह्र ## 2122 2122 2122 212 फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन काफिया ## चुप्पियाँ (इयाँ) रदीफ़ ## बिना रदीफ़
2122 2122 2122 212
गिरह
रोज़ हम तो हैं सुलाते देके ग़म को थपकियाँ।
बेबसी की सिसकियों में गूँजती सी चुप्पियाँ ।
१)
देखकर ख़ामोश लहरें और सागर चुप्पियाँ।
आज हमने है चुराई दीप जैसी सीपियाँ।
२)
ख़ूबसूरत ज़ाफ़रानी तितलियों सी लड़कियाँ।
छोड़ जाती हैं नई सी इक कहानी लड़कियांँ।
३)
शान ये माता- पिता की मान सारे मुल्क का,
दें पिला दुश्मन को पानी हिंदुस्तानी लड़कियांँ।
४)
देखने को छत पे अपनी माहताबी हूर को
आज मैंने खोल डाली कल्ब की सब खिड़कियाँ।
५)
राज़ गहरा था किसी को क्यों बताया आपने,
आज बीवी से मिलेगी बिजलियों सी झिड़कियाँ।
६)
ज़ुल्म की आँधी सही और होंठ अपने सी लिए,
आज हमने माफ़ करदी आपकी सब गलतियाँ।
७)
अब रहीं ना कम किसी से छू लिया ‘नीलम’ गगन
कर रहीं हैं बढ़के आगे आगवानी लड़कियाँ।
नीलम शर्मा ✍️