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2 May 2024 · 1 min read

बह्र 2122 2122 212 फ़ाईलातुन फ़ाईलातुन फ़ाईलुन

अब हमारी है तुम्हारी रोज़ शब।
बस ख़ुमारी है तुम्हारी रोज़ शब।

हो भला कैसे मुकम्मिल आप बिन,
बेमुरव्वत है हमारी रोज़ शब।

चंद यादें चंद वादे और ग़म,
ज़ीस्त हँस हँस के सँवारी रोज़ शब।

गिरह
बन सितारा आप अंबर में बसे,
याद आएगी तुम्हारी रोज़ शब।

चाँद मेरी गोद में ‘नीलम’ खिला
चाँदनी की है उधारी रोज़ शब।
नीलम शर्मा ✍️

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