….बहू बनाम बेटी…
माना की संसार में,
हर इंसान एक जैसा नही होता।
होती हैं कमियां हर किसी में कोई न कोई,
तो क्यों कसते हैं हम ताने बात बात पर।
इससे तो उतर जाते हैं हम एक दूसरे की नजरों में,
क्यों यह कहते हैं की बहु बेटी नही बन सकती।
क्यों बनाना चाहते हो बहु को बेटी,
बहु को बहु रहने दो और बेटी को बेटी।
दोनो की अलग अलग होती जिम्मेदारियां,
कहीं कोई किसी की जगह ले सका है।
फिर क्यों हम एक दुसरे की तुलना में,
रिश्ते कमजोर करते हैं ।
जिस तरह हर रिश्ते का अलग वजूद होता है,
जिस तरह चाची ,मामी, मासी, बुआ , ताई।
एक दुसरे की जगह नही ले सकती,
उसी तरह बेटी और बहु का रिश्ता।
भी अलग ही रहने दो।,
ऐसा करके आप लोग ननद और भाभी।
के रिश्ते में डाल देते हैं दरार।
आपकी बेटी बनेगी किसी और की बहु ,
और संभालेगी जाकर अपना सासुरल।
तो बहु को भी सम्हालने दे अपना परिवार।
बात बात पर तानें नही प्यार दें।
फिर देखिए वही बहु करेगी आपकी परवाह,
सेवा और सम्मान।
बहू को बहू के रुप में स्वीकारें,
आप भी अच्छे सास ससुर बने
थोड़ा सा मौका दें तानें नही।
की बहु को घर चलाना नहीं आता।
कोई काम ढंग से करना नही आता,
धीरे धीरे सीख लेगी आपके तौर तरीके।
हो सकता है आपकी बेटी की उम्र ज्यादा हो बहु से,
वो सारे काम अच्छे से कर लेती हो।
बहु की उम्र कम हो,
और डाल देते हैं सारी जिम्मेदारियां उसके उपर।
ऐसा नही की वह कोसिश नही करती ।
लिकिन जरा सी चूक हो जानें पर,
जो मिलते हैं तानें।
सुननी पड़ती हैं आप लोगों की जली कटी बातें।
वो तोड़ देते हैं उसे अंदर तक।
वो भी सोचती है की ऐसा क्या गुनाह किया।
की लगा दी अदालत।
निकाल दिया नाम की बहु हमारी नालायक है।
हां मै मानती हूं कि कुछ बहुएं गलत करती हैं।
लेकिन क्या एक की गलती की सजा,
सबको मिलना सही है।
कृपया बहू को बहू के रूप में प्यार दें,
उसका अपना अस्तित्व न मिटाएं
सभी बहुओं की तरफ से……..
स्वरचित मौलिक रचना
रुबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ..