बहू और बेटी
बेटी और बहु
सोनिया! अरे ओ सोनिया! चिल्लाती हुई कमला किचन में घुसी और अपनी नई नवेली बहु पर बरस पड़ी, मैंने तुझे कितनी बार कहा है कि सुबह जल्दी उठा कर ये 7 बजे तक सोने का क्या तरीका है, क्या तुम्हारे मां बाप ने तुम्हें यही संस्कार दिए हैं और न जाने क्या क्या खरी खोटी सुनाते हुए वो किचन से बाहर गई।
यह तो रोज सुबह की बात थी जब कमला अपनी बहु सोनिया को किसी न किसी बात को लेकर डांटती, बिना उसे ताने मारे शायद उसे चैन नहीं आता था।
अब तो सोनिया को भी इन सब बातों की आदत हो गई थी भला और बेचारी कर भी क्या सकती थी ये उसका घर तो था नहीं जहां उसका ख्याल रखा जाए और उसके जज्बातों की कद्र की जाए। इस घर में जब वह बहु बनकर आई थी सोचा था कि अपने घर जा रही हूं लेकिन ये घर उसका बन ही नहीं पाया।
रोज रोज सासु मां की फटकार और पति की मनमर्जी सहना उसकी दिनचर्या बनती जा रही थी, बिना सासु मां से पूछे कोई भी काम नहीं कर सकना, पति के खाए बगैर खाना नहीं, उनकी इच्छा बगैर वो रात में सो नहीं सकती थी उसे देर तक जागना पड़ता था और सुबह थोड़ा देर क्या हो जाए उठने में बस सासु मां पूरा घर सिर पर उठा लेती थी।
सोनिया ने नाश्ता बनाया और ननद को बुलाने गई तो देखा सासु मां उसे चैन से सोता देख उसके सिरहाने बैठकर उसे बड़े प्यार से थपकी देकर सुला रही हैं, उसे आया देखकर बोली सोने दो बेचारी को अभी अभी इसके बारहवीं कक्षा के एग्जाम खत्म हुए हैं चैन से सोने दो जब उठेगी तो नाश्ता कर लेगी, इसे बड़ा होकर डॉक्टर जो बनना है।
सोनिया को याद आया कि वो भी शादी के पहले बीएससी फर्स्ट क्लास में पास है और ये वही सासु मां है जिनसे आगे पढ़ने की परमिशन मांगने पर आंखें दिखाते उन्होंने कहा कि और पढ़कर क्या करोगी घर संभालो और फिर हमें पोते का मुंह भी तो देखना है।
“बेटी को प्यार और बहु को फटकार वाले ससुराल के इस भेदभाव पूर्ण व्यवहार पर उस बेचारी की आंखें भर आई थी, लेकिन वो कर भी क्या सकती है दुनिया में आजकल यही तो होता है बहुत से घरों में बहु और बेटी में भेदभाव किया जाता है। आखिर बहू भी किसी की बेटी होती है और लोग उसके साथ दुर्व्यवहार करते हुए ये भूल जाते हैं कि आखिर उनकी बेटी भी एक दिन किसी घर में बहु बनेगी। जहां बहु और बेटी से समान प्रेम व्यवहार होगा वह घर बहु के लिए स्वर्ग सा सुखी होगा और जिस दिन दुनिया ये बात समझ जायेगी उस दिन सभी बेटियों के लिए ससुराल एक भयावह जगह नहीं रहेगी।”
बहु काम करते अच्छी लगती है और बेटी आराम,
ये दोहरा मापदण्ड क्यों कब लगेगा इसको विराम।
✍️ मुकेश कुमार सोनकर “सोनकरजी”
रायपुर, छत्तीसगढ़