बहुत बार
बहुत बार
यूं ही रोता है
बहुत बार
आहत होता है
यह निर्दोष, निश्छल मन
प्रिय जनों के
कटु वचनों से
कटु प्रश्नों से
अनुत्तरित सवाल
बनके रह जाता है सारा जीवन
बहुत बार
यूं ही रोता है
बहुत बार
आहत होता है
यह निर्दोष, निश्छल मन
प्रिय जनों के
कटु वचनों से
कटु प्रश्नों से
अनुत्तरित सवाल
बनके रह जाता है सारा जीवन