बहुत कुछ सीखना ,
बहुत कुछ सीखना ,
बहुत कुछ बांटना है
हम रसिक वर्णों के ,
बस उन्हे शब्दो में गूंथ
किसी के अंतर्मन को छूना हैं,
किन्ही सूखती अधरो को तृप्ति दे
किसी तड़पती तपती सृष्टि का प्रीति बनना है
किन्ही मौन व्यथित अंत स का
बन आवाज क्रांति बिगुल फूंकना है…
✍️पं अंजू पांडेय अश्रु रायपुर