बहन प्रेम
बहन प्रेम का रूप है,होती घर की शान।
दुख भाई का बाँटती,रखती सबका मान।।
रखती सबका मान,खुशी से घर भर देती।
फैला जग में तमस, उजाला वो कर देती।।
देकर खुशी अपार , करे कर्तव्य निर्वहन।
अद्भुत अनुपम प्रेम ,देवि का रूप है बहन।।
✍परमार प्रकाश
बहन प्रेम का रूप है,होती घर की शान।
दुख भाई का बाँटती,रखती सबका मान।।
रखती सबका मान,खुशी से घर भर देती।
फैला जग में तमस, उजाला वो कर देती।।
देकर खुशी अपार , करे कर्तव्य निर्वहन।
अद्भुत अनुपम प्रेम ,देवि का रूप है बहन।।
✍परमार प्रकाश