बहन आती सदा रहना
बहन आती सदा रहना
ये साझा दुख हमारा है, हमारी मांँ का यों जाना।
अकेला छोड़कर मुझको, न मन से दूर तू जाना।
बहन हर तीज पर आना, बहन त्योहार पर आना।
कि सावन का महीना हो, बहन निर्भय चली आना।
संदेशा भेजता हूंँ मैं,तू बच्चों को लिवा लाना।
करे मनुहार ये भाई, तू जीजाजी
के संग आना।
नजर मेरी सुबह से ही,वो द्वारे पर गड़ी होगी।
वहीं स्वागत कलश लेकर, तेरी भाभी खड़ी होगी।
कहांँ पहुंँची बुआ अब तक, ये छोटू फोन पर पूछे।
छलकती प्यार की गागर, हृदय में, बात यूं पूछे।
बुआ मैं कोन लाई हूंँ, मुझे मेहंदी लगाओगी?
तुम्हारे लाड़ले छोटू को सुंदर, गिफ्ट लाओगी?
बहन! भाभी तेरी, सुंदर सी साड़ी, लेकर आई है।
बड़े ही प्यार से मैचिंग, चूड़ी-बिंदी मिलाई है।
बिना संकोच तुम आना,तकूँगा राह मैं तेरी।
हमारी मांँ के जैसी ही, रहेगी भावना मेरी।
तुझे द्वारे पे मैं पाकर, नजर तेरी उतारूंँगा।
गले तुझको लगा कर के, हृदय अपना जुड़ा लूंँगा।
हमारे भाल पर बहना, तिलक कुमकुम लगा देना।
कलाई पर वो रेशम की, बहन राखी सजा देना।
चरण तेरे छुऊंगा मैं, मुझे आशीष दे देना।
मैं ही माँ हूंँ, मैं ही बाबा, बहन आते सदा रहना।
इंदु पाराशर