बस 2 मिनट, आराम से बैठकर सोचिये
आराम से बैठ कर सोचिये…
लेखिका- जयति जैन ☺
थोडा अतीत में जाइये, देखिये एक मस्तमोला इसान जो कभी आप हुआ करते थे,
वो इंसानजो छोटी छोटी बातों में खुशियों को ढूढ लेता था ! जिसे किसी खास वज्ह की जरुरत नहीं होती थी, अपनों से पुराने दोस्तों से बात करने में !
अब हैं क्या आप वही ???
नहीं
यही जबाब मिलेगा, साथ में यह भी कि तब समझदारी नहीं थी, परिवार की जिम्मेदारी नहीं थी !
क्या आपको लगता है सच में कि ये वज्हे आप से आपका स्वभाव छीन लेती हैं ? कभी नहीं…
आपने खुद कभी कोशिश की खुल के मुस्कुराने की, पुराने दोस्तों से बात करने की, परिवार को संडे पे छोटी सी पिकनिक पे ले जाने की,
की क्या कोई कोशिश… ?
नहीं ना
तो अब क्या सोच रहे हैं फोन उठाइये और पुराने दोस्तों से बात करिये,
पुरानी यादें ताज़ा होगी तो पुराने इंसान को खुद आना पड़ जायेगा !
आज रात को आफिस से लोटते समय कुछ चोकलेट, पिज़ज़ा, कोल्डड्रिंक्स अपनी पत्नी और बच्चों के लिये लेते जाना ! साथ में बैठकर छोटी से पार्टी करना, सबकी सुनना अपनी कहना !
रिश्तों में अपने आप ताज़्गी आ जायेगी
और खुद के लिये जरूर समय निकालिये, उठाईये बाइक और निकल पडिये खुद के साथ एक लौंग ड्राइव पर,
इसमे सोचना क्या है, खुद को 15 मिनट का समय तो आप दे ही सकते है ! हो सके तो अपने प्यार अपनी पत्नी को भी साथ ले लीजिये, रिश्ते में ताज़्गी भर जायेगी !
हर वो काम करिये जो आपको खुशी दे, जायदा समय नहीं है तो 10 मिनट दीजिये पर खुद की खुशी के लिये कुछ ना कुछ करते रहिये !
लेखिका- जयति जैन, रानीपुर (जिला- झांसी, उ.प्र.)