बस प्रेम तक है, बाकी प्रेम का प्रेमविवाह में बदलने के प्रोसे
बस प्रेम तक है, बाकी प्रेम का प्रेमविवाह में बदलने के प्रोसेस में रंग, जाति का पता नही पर काम, पैसा जरूरी सब देखा जाता है। कहने कहने का है बस प्रेम की आजादी अलग उसका आनंद बस प्रेम के करने तक है बस बाकी शादी के बाद उस आजादी के रंग रूप कायदा सब अलग हो जाता है। प्रेम कुछ नहीं मांगता पर प्रेम विवाह सब मांगता है क्योंकि भविष्य की सेफ्टी और जीवन के सहूलियत की बात है।