बस नाम रहेगा अल्लाह का ! हम देखेंगे, हम देखेंगे !!
बस नाम रहेगा अल्लाह का !
हम देखेंगे, हम देखेंगे !!
एक सेक्स होता है । Sex की क्रिया होती है । यही Sex जब पति पत्नी के बीच होता है तो मंगल और शुभदायक माना जाता है ।
यही Sex जब किसी वेश्या से किया जाता है तो वह नीच और अशुभ माना जाता है ।
लेकिन यही Sex का प्रयोग जब किसी स्त्री या पुरुष के साथ ज़ोर जबरदस्ती के साथ किया जाता है तो वह बलात्कार अधम, पतित और दंडनीय होता है ।
देखिये सेक्स की क्रिया एक ही है, कोई अंतर नहीं, पर मंशा और उद्देश्य अलग हैं । एक वंश को बढाने के लिए और शुभदायक है और दूसरा अमंगलकारक है ।
उद्देश्य ….
एक हत्या होती है ।
यह हत्या जब कोई सैनिक अपने देश या किसी की जान बचाने के लिए करता है तो उसको वीरता और शौर्यता से सम्मानित किया जाता है ।
और यही हत्या जब कोई आतंकवादी करता है तो उसको दंड भोगना पड़ता है ।
देखिये क्रिया एक ही है पर उद्देश्य और मंशा अलग अलग है ।
एक व्यक्ति physics या chemistry पढ़कर nuclear energy का प्रयोग constructive उद्देश्य से कर रहा है और वहीं दूसरा व्यक्ति वही पढ़कर nuclear energy का प्रयोग bomb बनाकर destructive उद्देश्य से कर रहा है ।
बच्चा जब माँ की गोद में माँ को लात मारता है तो माँ को कोई फ़र्क नहीं पड़ता पर वही उसी का बच्चा जब बड़ा होकर वही लात मारता है तो निंदनीय है ।
अब देखिए उपरोक्त सभी उदाहरण में क्रिया एक ही है रंचमात्र भी अंतर नहीं है , परंतु नियम, काल , परिस्थिति और उद्देश्य के अनुसार उसकी gravity में परिवर्तन आ गया और वही क्रिया एक जगह निंदनीय हो गयी तो एक जगह सम्मानीय ।
तो ठीक इसी प्रकार किसी भी कविता या शायरी को समझने से पहले यह देखना चाहिए कि उसको लिखने वाला कौन , किस भाव का , किस गुण ( सात्विक , राजसिक , तामसिक ) , किस परिस्थिति , किस समय , किस परिवेश में , किस निमित्त लिख रहा है , उस पर निर्भर करता है ।
अगर सूरदास जी कहें कि तेरे मुखारविंद पर मैं पूरा जीवन न्योछावर कर दूँ तो ज़ाहिर सी बात है लोग भक्ति में डूब जायेंगे और यही वाक्य शशि थरूर या कोई वेश्यागामी प्रवृत्ति का व्यक्ति बोले तो अंतर सुस्पष्ट है ।
तो एकमात्र उद्देश्य या मंशा ही मुख्य है ।
इसी तरह CAA के विरोध में “FUCK HINDUSIM” , “सब बुत उठवाए जायेंगे बस नाम रहेगा अल्लाह का” , चूड़ी बिंदी और भारतीय परिधानों का विरोध, देवी देवताओं का अपमान , भगवा का अपमान , शास्त्रों का विरोध इत्यादि यह दर्शाता है कि उस वक्त यह जो विरोध हुआ उसका मूल उद्देश्य CAA न होकर कुछ और ही है ।
चाकू सही है पर उसका उपयोग करने वाला किस तरह उपयोग कर रहा है , यह मायने रखता है ।
चाकू से वह हत्या कर रहा है या फल सब्जियाँ छील रहा है , यह उद्देश्य उस चाकू को सही गलत बताता है ।
इसलिए किसी भी कवित्त ,शायरी , नज़्म का प्रयोग करने वाला कौन है , किसलिए कर रहा है , किस उद्देश्य से किया जा रहा है , यही उसके ग़लत सही का परिमाप है ।
अतः यह नज़्म , इसको प्रयोग करने वाले लोग , परिस्थिति और समय के हिसाब से पूर्णतया देश विरोधी है ।
✍️Brij