बस कुछ पल का इंतजार है..
शांत है वो ईश्वर , धरा भी शांत है।
मनुष्यो के कुवृत्तियों से वो परिचित है ।
वो जानते है आयेगा सही समय जब,
मेरे भी सभी रूपों से उसे भी ज्ञात है।
ईश्वर क्या कर सकता है सभी है परिचित
फिर क्यों ये उन्माद इस जगत में है।
भंग हो चुकी है धरा से अब शांति,
प्रलय के लिए हाहाकार मचा है।
निशब्द हो गया है इंसान अपने आप में,
भाषाएं अनेक है लेकिन जुबान नहीं किसीमें।
परिपूर्ण हो चुका है अब पाप का घड़ा,
ईश्वर भी तैयार है अब हिसाब लेकर खड़ा।
छूटेगा नहीं कोई अब ये वादा है ईश्वर का।
कर्म का हिसाब सबको मिलेगा ये सिद्ध है।
लज्जा विहीन हो चुका है संसार ये पूरा,
आएगा वो ढकने लाज सबकी।
समय बस आने ही वाला है कुछ पल बाकी है
निकट है प्रलय का कांटा।
*डरना मत ऐ इंसान तूने ही विष फैलाई है
अब बारी तेरी है क्योंकि विष तेरे अन्दर अब आयी है*।।।