#बस, एक दिवस मेरी माँ का
🙏~ हिंदी दिवस ~
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★ #बस, #एक दिवस मेरी माँ का ★
सौ दिन तो हैं डायन के
बस एक दिवस मेरी माँ का
मैं तो जानूं अपनी बोली
कोई गजल हायकू न तांका
सौ दिन तो हैं . . . . .
सबसे पहले अम्मा खाई
पीछे खाया बापू
लाज धर्म सब खा गई
जिस-जिस घर में झांका
सौ दिन तो हैं . . . . .
गऊरत पीने वाला भाई
नंगे संग होकर नंगा नाचे
बटमारों की टोली ने
गाँव में डाला डाका
सौ दिन तो हैं . . . . .
यारी लगी कुलच्छनी संग जिस
होना चाहे सब कोई नौकर
पटबीजने की पट बैठी
रात में सूरज ढांका
सौ दिन तो हैं . . . . .
कबीर का ताना-बाना उलझा
सूरदास का रस्ता औंधा
खेती करे गंवार नानक
मैं जिसका चेला बांका
सौ दिन तो हैं . . . . .
हिंदी हिंद की रीत सिखावे
फल लागे झुक जाओ
शुभ सुभाषित चमकावेंगे
ज्यों चाँद गगन में टांका
सौ दिन तो हैं . . . . .
पूरी वसुधा एक ही कुनबा
दसों दिशाएं गुंजित
गाय गायत्री गंगा मय्या
जुग-जुग जीवन हो गया सांचा
सौ दिन तो हैं . . . . .
पंचनद मेरे पिता की भूमि
जेहलम मेरी माता
जमुना-तीरे जनम लिया
जनमन में मेरा वासा
सौ दिन तो हैं . . . . .
माँ बोली जिस नाम लिखाया
जो हिंद की हिंदी जाने
वही बजावे ताली भैया
नहीं और से कोई नाता
सौ दिन तो हैं डायन के
बस एक दिवस मेरी माँ का . . . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२