बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
सुबह की प्रार्थना के दीप, बाती,धूप, चंदन में।।
बसे हैं राम तुलसी से सजे खुशरंग आँगन में ।
बसे हैं राम याचक के, थके हारे फटे तन में।।
-जगदीश शर्मा सहज