बसा के धड़कन में प्यार तेरा पलक भी सपने सजा रही है ।
ग़ज़ल
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बसा के धड़कन में प्यार तेरा पलक भी सपने सजा रही है ।
किया है महसूस हमने उल्फ़त जिसे नज़र भी छुपा रही है ।।
लिखा हथेली पे नाम तेरा छिपा के सीने से जो लगाया
झुकी निगाहे लजा के हमदम नज़र भी हमसे चुरा रही है ।।
छुपा के रखती हूं नाम जिसका बताये वो क्या जहां से सारे ।
दिया मोहब्बत का बस जलाकर नज़र वफा भी निभा रही है ।।
करें अगर याद प्यार से वो तो मन हमारा भी चैन खोता
समझ ही जाता है दिल हमारा मुझे ये हिचकी बता रही हैं ।।
किया है उल्फत तुम्ही से हमदम तुम ही हो जीवन के हमसफर जो ।
गजल वो मेरी मगर अभी तक मुहोब्बतों की सुना रही हैं ।।
लिखा हथेली पे नाम तेरा लगा के जैसे हो पास मेरे ।
बसा के धड़कन में प्यार हमदम नजर भी पर्दा निभा रही हैं ।।
अजब खुमारी भरा है मौसम सूनों तो”ज्योटी” के हाल दिल का ।
जरा सा मेरे करीब आओ नज़र तुझे ही बुला रही है।।
ज्योटी श्रीवास्तव jyoti Arun Shrivastava
अहसास ज्योटी 💞✍️