बसन्त
‘बसन्त’
गेहूँ की बाल देख, सबने सुख पाओ है,
सरसों जो फूल रही, चेहरा मुस्काओ है.
कोयल की कू कू सुन, आम बोराओ है,
होरी मनाबे खों, बसन्त आज आओ है.
‘बसन्त’
गेहूँ की बाल देख, सबने सुख पाओ है,
सरसों जो फूल रही, चेहरा मुस्काओ है.
कोयल की कू कू सुन, आम बोराओ है,
होरी मनाबे खों, बसन्त आज आओ है.