बसंत
रंगों की बहार लेके आया बसंत ,
हो गया सर्द हवाओं का अंत ,
सूखे पेड़ों पे आई पत्तियाँ नई ,
बागों में नन्ही कलियाँ खिल गई ,
बसंत पंचमी संग आया बसंत ,
माँ शारदे के वरदान लाया अनंत ।
रंगों की बहार लेके आया बसंत ।।
भर गए पीली सरसों से सारे खेत ,
हवाओं में गूँजा प्रेम संगीत ,
कुहू कुहू गाए कोयल मीठे-मीठे गीत ,
याद आए ऐसे मौसम में मन मीत ,
सर्द हवाओं के दिन गए बीत ।
रंगों की बहार लेके आया बसंत ।।
लाल – नीले – पीले – हरे रंग उड़े ,
होली में भूल सब गले मिले ,
तितली – भँवरों के लग गए मेले ,
सूरज की किरणें लहरों पर खेलें ,
हुई मनभावन धरा की सूरत ,
रंगों की बहार लेके आया बसंत ।
कवियों के लिए ये मौसम वरदान ,
भरती प्रकृति कलम में जान ,
मिलती जज़्बातों को नई ज़ुबान ,
किया कोरोना ने सबको एकांत ,
बन गए सब निराला और पंत ,
रंगों की बहार लेके आया बसंत ।
नए – नए फूल खिलने लगे ,
अँखियों में सपने पलने लगे ।
भाई सबको प्रभु की सौग़ात ,
नहीं किसी मौसम में बसंत सी बात ।
बदले हर इंसा के दिन – रात ,
हो गया सर्द हवाओं का अंत ,
रंगों की बहार लेकर आया बसंत ,
धरती पर छाई ख़ुशियाँ अनंत ,
रंगों की बहार लेके आया बसंत ।
रंगों की बहार लेके आया बसंत ।।
इंदु नांदल , विश्व रिकॉर्ड होल्डर
इंडोनेशिया
स्वरचित