Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
Shweta Soni
27 Followers
Follow
Report this post
19 Feb 2024 · 1 min read
बसंत
नहीं होती
प्रकृति विधवा कभी,
सदैव किया है बसंत ने
उसका श्रृंगार
सही समय पर आकर।
Competition:
Poetry Writing Challenge-2
Like
Share
52 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
Books from Shweta Soni
View all
अंतर्मन का कोपभवन
Shweta Soni
ख्वाब जो देखे थे मैंने
Shweta Soni
You may also like:
സങ്കടപ്പുഴയിൽ.
Heera S
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
Don't Give Up..
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*बस मे भीड़ बड़ी रह गई मै खड़ी बैठने को मिली ना जगह*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
புறப்பாடு
Shyam Sundar Subramanian
जीवन में आप सभी कार्य को पूर्ण कर सकते हैं और समझ भी सकते है
Ravikesh Jha
तुम चंद्रछवि मृगनयनी हो, तुम ही तो स्वर्ग की रंभा हो,
SPK Sachin Lodhi
इन समंदर का तसव्वुर भी क्या ख़ूब होता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अपने दीपक आप बनो, अब करो उजाला।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कहां बैठे कोई , संग तेरे यूं दरिया निहार कर,
shubham saroj
समझ
Dinesh Kumar Gangwar
G
*प्रणय*
बुंदेली दोहा - सुड़ी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
धीरे-धीरे क्यों बढ़ जाती हैं अपनों से दूरी
पूर्वार्थ
प्रतीक्षा
surenderpal vaidya
यादों से निकला एक पल
Meera Thakur
3217.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लूट कर चैन दिल की दुनिया का ,
Phool gufran
*अपना है यह रामपुर, गुणी-जनों की खान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"लाल गुलाब"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेम के दो वचन बोल दो बोल दो
Dr Archana Gupta
साक्षात्कार- पीयूष गोयल लेखक
Piyush Goel
मिलन
Bodhisatva kastooriya
कुछ खो गया, तो कुछ मिला भी है
Anil Mishra Prahari
समझाओ उतना समझे जो जितना
Sonam Puneet Dubey
"तरक्कियों की दौड़ में उसी का जोर चल गया,
शेखर सिंह
हो सके तो तुम स्वयं को गीत का अभिप्राय करना।
दीपक झा रुद्रा
मनोकामना
Mukesh Kumar Sonkar
ज़िंदगी हम भी
Dr fauzia Naseem shad
प्रदर्शन
Sanjay ' शून्य'
Loading...