बसंत
1
बरसे बादल प्रीत के,प्यारी लगी फुहार
भीग रहे अरमान है, झंकृत मन के तार
बसंती हवा चली है, खिली भी कली कली है
2
भीगा हुआ बसंत है, भीग रही है प्रीत
और लबों से झर रहे, भीगे भीगे गीत
झूम लहराये ये मन, थिरक कर नाचे ये तन
14-02-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद