बसंत पंचमी
1
इधर बसंती आहटें, उधर गुनगुनी शीत
बसन्त पंचमी आ गई, बांहों में ले प्रीत
बांहों में ले प्रीत, बहारों के दिन आये
रहीं लतायें झूम, भँवर गुन गुन गुन गाये
कहे ‘अर्चना’ देख, लजावे है लजवंती
इधर रहा तन झूम ,हुआ मन उधर बसंती
2
आई बसंत पंचमी , माँ को करें प्रणाम
सारी बाधाएं हरे , माँ का प्यारा नाम
माँ का प्यारा नाम, मिटा देता दुख सारे
करें शारदे मात , सभी सच स्वप्न हमारे
कहे ‘अर्चना’ आज, सुगन्धित है पुरवाई
छाई हुई बहार , जयंती माँ की आई
04-02-2022
डॉ अर्चना गुप्ता