बलिदान
जीवन प्रेम खो कर के, तुमने ये प्रेम पाया है
जीऊँ वर्ष हजारों मैं, कभी न ये विचारा है
रहे सम्मान, स्वाभिमान, बढ़े पग राष्ट्र भूमि का
यही फिर सोच कर तुमको, यह बलिदान प्यारा है।
रचनाकार — नरेश मौर्य
जीवन प्रेम खो कर के, तुमने ये प्रेम पाया है
जीऊँ वर्ष हजारों मैं, कभी न ये विचारा है
रहे सम्मान, स्वाभिमान, बढ़े पग राष्ट्र भूमि का
यही फिर सोच कर तुमको, यह बलिदान प्यारा है।
रचनाकार — नरेश मौर्य