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3 Sep 2024 · 1 min read

बर्षो बीते पर भी मन से,

बर्षो बीते पर भी मन से,
गया न कविता-गीत ।
अब भी कानों में घुलते रहते,
मादक-मोहक संगीत ।।
सारी हेकड़ी निकल गई,
और हो गए चारों खाने चित ।।।
अब तो मान दिल-ए-नादान,
जब हो गया सेवा निवृत ।।।।

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