बर्थडे गिफ्ट
मैं हमेशा से ही अपने बर्थडे पर बड़ी उत्साहित रहती आई हूं और कोशिश करती हूं कि यह दिन अच्छे से मन जाये।
यह उन दिनों की बात है जब स्कूल से कॉलेज में प्रवेश पाया था। ग्यारहवीं कक्षा में बचपना तो ज्यों का त्यों बरकरार था। कॉलेज में जाकर तो एक नया माहौल और नई सहेलियां भी बनी। जिस दिन मेरा बर्थडे था मैंने सोचा क्यों न अपने नये पुराने दोस्तों को आज शाम अपने घर एक भव्य पार्टी का आयोजन करके उसमें आमंत्रित किया जाये।
बस फिर क्या था सबको समय से सूचित कर दिया गया और सब सजधजकर शाम को पधारे भी। मेरी एक सहेली नीति जब आई तो सबका ध्यान उसने अपनी तरफ आकर्षित किया। कारण था उसके हाथ में जो मेरा बर्थडे गिफ्ट था वह साइज में शायद कुछ जरूरत से ज्यादा ही बड़ा था। उसके कद को भी पार ही कर रहा था। मुझे और मेरे परिवार को बड़ी उत्सुकता हो रही थी कि पकड़ने पर तो यह हल्का फुल्का लग रहा था तो आखिर इसमें है क्या।
पार्टी पूरे जोरों शोरों से सम्पन्न हो गई। जब सब विदा हो गये तो सबसे पहले सब उस गिफ्ट की तरफ लपके कि इसे खोलकर तो देखें कि आखिर यह बला है क्या। मैंने कहा, ‘सब पीछे हट जाओ। मुझे गिफ्ट खोलने की जगह दो।’ सबको थोड़ा पीछे हटाकर मैंने उसे जमीन पर रखकर खोलना शुरू किया। ऊपर का फूलों वाला पैकिंग पेपर हटाया तो उसके नीचे वह अखबार के कागज से लिपटा था। मैंने फिर उसे हटाया तो एक दूसरे अखबार के कागज से लिपटा था। फिर क्या था तीसरा, चौथा, पांचवा, छठा, सातवां, आठवां, नौवां, दसवां… मैं एक के नीचे एक आते हुए अखबार के कागजों को हटाती जा रही थी लेकिन कोई गिफ्ट निकलकर नहीं दे रहा था। कमरे में चारों तरफ कागजों का ढेर लग गया था। सबकी उत्सुकता अब मायूसी में बदलती जा रही थी। एक तो पार्टी की थकान के बाद इस कसरत ने थका दिया था। हम सबने तो यह सोचा कि भई बहुत थक गये। अब छोड़ो यह सब करना। थोड़ी देर के बाद फिर वही सब करना शुरू किया। आखिरकार एक छोटा सा गत्ते का डिब्बा निकला। अब उसपर से भी टेप वगैरह हटाकर बमुश्किल खोला तो उसमें से एक निप्पल निकली। बच्चों के दूध की बोतल की निप्पल। कुछ देर तो सब खामोश रहे फिर कोई हंसने लगा। कोई तरह तरह के मजाक और टिप्पणियां करने लगा। मुझे तो ऐसा लग रहा था कि ‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’ का मुहावरा आज के इस जन्मदिन के एपिसोड के लिये ही बना था। मेरी स्थिति ऐसी थी न हंसने की न रोने लायक। थोड़ी देर बाद मैंने पर सोचा कि आज मेरे बर्थडे पर यही गिफ्ट तो मुझे मिलना चाहिए था। ठीक तो है आज के दिन मैं पैदा हुई थी तो बच्चे को दूध पिलाने के लिए इससे उपयुक्त गिफ्ट दूसरा भला कौन सा हो सकता था।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001