बरस पड़ी आँखें
“बरस पड़ी आँखें”
“क्षणिका”
——————-
कल बादल
भी नहीं थे
तन्हा भी नहीं था
सब थे
आस पास
मन भी
नहीं था उदास !
फिर भी
बेमौसम क्यों?
बरस पड़ी आँखे !
——————-
राजेश”ललित”शर्मा
१७-९-२०१७
“बरस पड़ी आँखें”
“क्षणिका”
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कल बादल
भी नहीं थे
तन्हा भी नहीं था
सब थे
आस पास
मन भी
नहीं था उदास !
फिर भी
बेमौसम क्यों?
बरस पड़ी आँखे !
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राजेश”ललित”शर्मा
१७-९-२०१७