बरसात
बरसात,
झूम झूम के मेघा बरसे, आयी अब बरसात है ।
सावन में दिल ऐसे झूमे, माँई! दिल सरसात है ।
जैसे हथिनी सूंढ़ उठा के, पानी भरभर फेंक दे।
पिया बिना दिल धड़के धक-धक,बिजली चमके रात है ।
काले -काले मेघा बहके,बिजली चमके रात में ।
आन बटोही दरश दिखा दे,सावन की बरसात में ।
बाट देखती अँखियाँ कहती, पाहुन अब विश्राम कर।
गजरा महके कजरा बहके,बिजली दहके गात में ।
गरज-चमक कर बिजली चमके, सावन की बरसात में ।
छमक -झमक कर नर्तन करते, आँगन की बरसात में ।
दिल की धड़कन धकधक करती,प्रीतम बिन दहलीज पर।
पथिक राह क्यों भूल गये तुम,उपवन की बरसात में ।
नाचे मोर पपीहा गाये ,सावन की हर रात में।
बाग बाग दिल करता मौसम,उपवन की हर बात में।
हाय !विधाता कैसी किस्मत, कैसा किस्मत लेख है।
बिना मिले बिछुड़े जब साथी, जीवन की बरसात में।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम