बरसात की बूंदें
देखता हसीन हूँ जब आंख को मूँदें,
ठहरती पलकों में नहीं रात की नींदें,
होंठ पे आती है समसीर की रौनक,
गिर रहीं दहलीज़ पे बरसात की बूंदें,
चहकती हैं चिड़ियां बच्चे बहक गये,
गईं उतर हैं दिल में जज़्बात सी बूंदें,
आह थी हवा की आँचल सरक गया,
जैसे कोई परी हो नादान सी बूंदें,
घुलती रही नशा है बेकाबू हर कोई,
पीकर धरा है झूमी आसान सी बूंदें,
कुछ लोग गमगीन कुछ हर्ष लिये हैं,
मद मस्त कर रही हैं परेशान सी बूंदें,
जुम्बिश धरा पे जैसे सागर उतर गया,
डरावनी सी लगती आफ़ताब की बूंदें,
अंतर कहाँ रहता अपने पराये का,
सबके लिये तड़पती संसार की बूंदें,
जो प्यास मिट गयी मैक़दे में न मिटी,
सीने से लगा दो मेरे अरमान की बूंदें,