बरसात और मन
ये श्याम सलोने बादल ,ये भीगा -भीगा मौसम
ये टप टप गिरती बूँदें ,मन करता है भीगे हम
लेकर अपने हाथों में हम रंगबिरंगी छतरी
बागों में झूला झूलें ,गायें मिलकर हम कजरी
पर देख कड़कती बिजली डर से निकला जाये दम
ये टप टप गिरतीं बूँदें ,मन करता है भीगे हम
हो रही बड़ी ही हलचल, अब भावों के आँगन में *
मीठे – मीठे से सपने , ले रहे हिलोरें मन में
पर इस शीतल पुरवा में , हम भूल गये सारे गम
ये टप टप गिरतीं बूँदें ,मन करता है भीगे हम
यूँ ओढ़ समझदारी की चादर लेता है ये तन
पर बच्चा ही रहता है जीवन भर ये चंचल मन
दिल सोचे क्यों जीवन में,बचपन के दिन होते कम
ये टप टप गिरतीं बूँदें ,मन करता है भीगे हम
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद