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3 Jun 2024 · 1 min read

बरसात आने से पहले

पिछले नवरात्र में कहे थे
आने को पर आये नही,
चलो बरसात आने से पहले
अगर आ जाओ तो सही।

गेहूँ कट कर खलिहान
में सारे आ गये है,
गन्ने पक कर पेराई का
इंतजार कर रहे है।

सरसो सारे पियरा कर
झरने लग गये है,
कोल्हू जाने का इंतजार
ये सब करने लगे है।

बाबू की तबियत अनवरत
बिगड़ती जा रही,
अम्मा की खाँसी है कि
कभी रुकती ही नही ।

पिछले माह से बबुअन
की फीस का बकाया है,
जोहती तुम्हारी बाट है
लंबी हो चली साया है।

किसी तरह अभी तक
सब संभाल पा रही हूँ,
पर प्रियतम अब मेरे
बस का ये सब नही है।

बस आरजू है हमारी
बिना देर किये आ जाना,
निर्मेष अवांछित घटने पर
हमसे कुछ मत कहना।

निर्मेष

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