बरगद एक लगाइए
कुंडलिया छंद
बरगद एक लगाइए, करिए उत्तम कर्म।
सभी जीव तब हों सुखी, नित्य निभाएं धर्म।।
नित्य निभाएं धर्म,नीम रोपित इक करके।
जीवन हो उत्कृष्ट,जियें स्वांसों को भरके।।
कहै अटल कविराय,होय मन सबका गदगद।
पीपल एक लगाय,लगाओ अब तुम बरगद।।