बरखा रानी
लेखक — डिजेन्द्र कुर्रे (बसना,महासमुंद )
कहानी — बरखा रानी
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नदी के किनारे बालिकाएँ फुगड़ी खेल रही थी।खेल को बड़े गौर से अमरईयाँ में बैठकर कोयल देख रही थी। कुहूँ कुहूँ कह मधुर गुंजार कर रही थी।एकाएक मोरनी फुदकती फुदकती आई।छम-छम नाचने लगी।फुगड़ी खेलती बालाएँ फुगड़ी छोड़ मोरनी के नृत्य में सभी खो गए।आओ नाचे छम-छम-छम।बारिश होने लगी – भागो….भागो…. भागो…..बरखा रानी आ गई।