बन्ना तैं झूलण द्यो झूला, मनैं सावण मं
(शेर)- लेकर खुशियां री बरखा, यो सावण आयो है
ई धरती पे हरियाली, यो सावण लायो है।।
झूलण द्यो झूला बन्ना, तैं मनैं सावण मं।
पिया मिलण री ऋतु , यो सावण लायो है।।
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बन्ना तैं झूलण द्यो झूला, जमकर मनैं सावण मं।
बन्ना तैं भी झूलोने झूला, सँग म्हारे सावण मं।।
बन्ना तैं झूलण द्यो झूला————————-।।
सर-सर चालै ठंडी हवा, बरसे बदळी जमकर।
बागां मायं मोर- पपैया, नाचै मस्ती मं जमकर।।
सखी सँग मस्ती बन्ना तैं, करणै द्यो मनैं सावण मं।
बन्ना तैं भी करणै द्यो मस्ती, सँग थारे सावण मं।।
बन्ना तैं झूलण द्यो झूला———————-।।
ढप- ढप बाजै ढपली अर, बाजै चंग- शहनाई।
नाचै टाबर अर जवान, सावण ऋतु जै आई।।
सखियाँ सँग नचणै द्यो बन्ना, मनैं तैं सावण मं।
बन्ना तैं भी नचल्यो आज, सँग म्हारे सावण मं।।
बन्ना तैं झूलण द्यो झूला———————।।
भोलेनाथ सूं मांगू बन्ना, लम्बी उम्र मूं थारी।
खुशियां सूं आबाद रहे, बन्ना जोड़ी हमारी।।
जाणै द्यो तैं शिवमन्दिर, बन्ना मनैं सावण मं।
चालो बन्ना तैं शिवमन्दिर, सँग म्हारे सावण मं।।
बन्ना तैं झूलण द्यो झूला———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)