” ———————————————- बन्धन कसे कसे से ” !!
हँसकर तुमने लूट लिया है , हम तो गये ठगे से !
मुस्कानों के इस जादू में , सपने जगे जगे से !!
खुशी दमकती पलकें उठती , आंखों की गहराई !
परिधानों में सिमटी काया , बन्धन कसे कसे से !!
कानों से जुल्फों की चुगली , बाली का इठलाना !
आँचल लहर लहरता जाये , यों ही बड़े मजे से !!
अपने ख्यालों का गुलदस्ता , तुमको सौंप दिया है !
बैरागी बन माला जपते , तुम हो सजे सजे से !!
वैभव माया सब झोली में , अपने पास बचा क्या !
उम्मीदें ही शेष रह गयी , रहते बचे बचे से !!
नाम तुम्हारा लिखकर मेटे , कल जाने कैसा हो !
हाथ तुम्हारे डोर छोड़ दी , हम तो बंधे बंधे से !!
बृज व्यास