बनारस की धारों में बसी एक ख़ुशबू है,
बनारस की धारों में बसी एक ख़ुशबू है,
वहां की सुबहों की चाय और गंगा की लहरों में खिले गुलाब है।
घाटों पर टहलना वो सुखद यादें हैं हमारी,
बनारस की पान की मिठास और वो सबकुछ साथ हमारी।
राजनीति की बातों में गुम होते हैं ये लोग कभी-कभी,
पर उनकी बातों में भी छुपा है वो अपना ही अद्भुत जज्बा और जज्बाती।
बनारस का जादू, उसकी मिठास और मिलनसार लोगों की मुलाकातें,
ये सब हैं वो यादें, जिन्हें हम सदैव दिल में सजाते हैं।
साहिल अहमद