Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Nov 2019 · 2 min read

बदलाव

एक बार एक बुजुर्ग की तबियत खराब हो गई और उन्हें अस्पताल में दाखिल कराना पड़ा।पता लगा कि उन्हें कोई गम्भीर बीमारी है हालांकि ये छूत की बीमारी नही है, पर फिर भी इनका बहुत ध्यान रखना पड़ेगा,कुछ समय बाद वो घर आए। पूरे समय के लिए नौकर और नर्स रख लिए गए।धीरे-धीरे पोतों ने कमरे में आना बंद कर दिया। बेटा-बहू भी ज्यादातर अपने कमरे में रहते।बुजुर्ग को अच्छा नहीं लगता था लेकिन कुछ कहते नही थे।ऐक दिन वो कमरे के बाहर टहल रहे थे तभी उनके बेटे-बहू की आवाज़ आई।बहू कह रही थी कि पिताजी को किसी वृद्धाश्रम या किसी अस्पताल के प्राइवेट कमरे में एडमिट करा दें कहीं बच्चे भी बीमार न हो जाए।बेटे ने कहा कह तो तुम ठीक रही हो , आज ही पिताजी से बात करूंगा!पिता चुपचाप अपने कमरे में लौटा,सुनकर दुख तो बहुत हुआ पर उन्होंने मन ही मन कुछ सोच लिया।शाम जब बेटा कमरे में आया तो पिताजी बोले अरे मैं तुम्हें ही याद कर रहा था कुछ बात करनी है।बेटा बोला पिताजी मुझे भी आपसे कुछ बात करनी है।आप बताओ क्या बात हैं…
पिताजी बोले तुम्हें तो पता ही है कि मेरी तबियत ठीक नहीं रहती, इसलिए अब मै चाहता हूं कि मैं अपना बचा जीवन मेरे जैसे बीमार, असहाय , बेसहारा बुजुर्गों के साथ बिताऊं।सुनते ही बेटा मन ही मन खुश हो गया कि उसे तो कहने की जरूरत नहीं पड़ी। पर दिखावे के लिए उसने कहा, ये क्या कह रहे हो पिताजी आपको यहां रहने में क्या दिक्कत है?
तब बुजुर्ग बोले नही बेटे, मुझे यहां रहने में कोई तकलीफ नहीं लेकिन यह कहने में मुझे तकलीफ हो रही है कि तुम अब अपने रहने की व्यवस्था कहीं और कर लो, मैने निश्चय कर लिया है कि मै इस बंगले को वृद्धाश्रम बनाऊंगाऔर असहाय,बेसहारों की देखरेख करते हुए अपना जीवन व्यतीत करूंगा। अरे हाँ तुम भी कुछ कहना चाहते थे बताओ क्या बात थी…!!!!
कमरे में चुप्पी छा गई थी…
कभी-कभी जीवन में सख्त कदम उठाने की जरूरत होती है…!!!

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 274 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"बड़ा"
Dr. Kishan tandon kranti
अंतिम सत्य
अंतिम सत्य
विजय कुमार अग्रवाल
Second Chance
Second Chance
Pooja Singh
इंसान अच्छा है या बुरा यह समाज के चार लोग नहीं बल्कि उसका सम
इंसान अच्छा है या बुरा यह समाज के चार लोग नहीं बल्कि उसका सम
Gouri tiwari
जिंदगी तो पहले से बिखरी हुई थी
जिंदगी तो पहले से बिखरी हुई थी
Befikr Lafz
अपनी कलम से.....!
अपनी कलम से.....!
singh kunwar sarvendra vikram
इल्म
इल्म
Bodhisatva kastooriya
कलाकार
कलाकार
Shashi Mahajan
#आदरांजलि
#आदरांजलि
*प्रणय प्रभात*
2936.*पूर्णिका*
2936.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वोट डालने जाएंगे
वोट डालने जाएंगे
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
21 उम्र ढ़ल गई
21 उम्र ढ़ल गई
Dr .Shweta sood 'Madhu'
समाज और सोच
समाज और सोच
Adha Deshwal
दोस्ती
दोस्ती
Dr.Pratibha Prakash
रमेशराज के दो लोकगीत –
रमेशराज के दो लोकगीत –
कवि रमेशराज
self doubt.
self doubt.
पूर्वार्थ
कानून अंधा है
कानून अंधा है
Indu Singh
नादानी
नादानी
Shaily
नवगीत : हर बरस आता रहा मौसम का मधुमास
नवगीत : हर बरस आता रहा मौसम का मधुमास
Sushila joshi
एक लम्हा
एक लम्हा
Dr fauzia Naseem shad
परखा बहुत गया मुझको
परखा बहुत गया मुझको
शेखर सिंह
घाव करे गंभीर
घाव करे गंभीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
शीर्षक:-सुख तो बस हरजाई है।
शीर्षक:-सुख तो बस हरजाई है।
Pratibha Pandey
"एकान्त चाहिए
भरत कुमार सोलंकी
खालीपन
खालीपन
करन ''केसरा''
2122 1212 22/112
2122 1212 22/112
SZUBAIR KHAN KHAN
मुक्तक
मुक्तक
Mahender Singh
पहले जो मेरा यार था वो अब नहीं रहा।
पहले जो मेरा यार था वो अब नहीं रहा।
सत्य कुमार प्रेमी
दूर जा चुका है वो फिर ख्वाबों में आता है
दूर जा चुका है वो फिर ख्वाबों में आता है
Surya Barman
अंग प्रदर्शन करने वाले जितने भी कलाकार है उनके चरित्र का अस्
अंग प्रदर्शन करने वाले जितने भी कलाकार है उनके चरित्र का अस्
Rj Anand Prajapati
Loading...