बदलते क्षण
सुबह का समय था।आज घर में बहुत चहल -पहल थी।सभी के मुँह से एक ही वाक्य निकल रहे थे-आज राजीव आने वाला हैं, आज राजीव आने वाला हैं………….. सभी के चेहरे पर राजीव के आने की खुशी साफ दिख रही थी।दिखे भी क्यों न,आखिर आज राजीव पूरे गयारह वर्ष बाद जो अपने घर लौट रहा था ।
राजीव एक बहुत बड़े खानदान का इकलौता वारिश था ।वह पढ़ने के लिए विदेश गया हुआ था।वहाँ से वह अपनी पढ़ाई खत्म कर वापस आ रहा था।सबलोग उसके लिये आँखे बिछा रखे थे।
अचानक घर का टेलीफोन बजता है-रामु काका जी फ़ोन उठाते है-उधर से एक बड़े अस्पताल के डॉक्टर बोलते हैं-राजीव एक सड़क दुर्घटना में बूरी तरह घायल हो चुका है।हमने उन्हें आईसीयू में रखा हैं।
यह सुनते ही मानो उस परिवार पर काली घटा टूट पड़ी हो।उनलोगों को चारों तरफ अंधेरा ही अँधेरा नजर आता हैं।सबके चेहरे उतर जाते हैं।सभी उसी हालत में अस्पताल के लिए निकलते हैं।
वहाँ पहुंचते ही डॉक्टर उनलोगो को बताते है कि सही समय पर उपयुक्त इलाज न होने के कारण राजीव स्वर्ग सिधार चुका हैं।ये सुनते ही राजीव की माँ बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ती है।पूरे परिवार उस माहौल में गमगीन हो जाता हैं।
आज किस्मत ने उनके परिवार के साथ छल किया था।उनलोगों को जितनी खुशी की उम्मीद थी वो लोग उतने ही गम में डूब गए थे।
नैतिक:-किस्मत कभी भी किसी के साथ भला -बुरा कर सकती है।उस क्रम में व्यक्ति विशेष की कोई गलती नही होती हैं।
ये मेरे द्वारा एक काल्पनिक और लघुकथा हैं।
द्वारा-खुशबू खातून