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28 Dec 2021 · 1 min read

बदलता साल

दिनों की ही मेहनत है नया साल बनाने में ।
फिर भी इल्जाम है दिनो पर इसे बदलाने में ।।
बदलना होता एक दिन चाह हो कितनी भी,
जिंदगी का फ़लसफ़ा है लगा हूँ समझाने में।।
स्वागत2024
(कवि-डॉ शिव ‘लहरी’)

Language: Hindi
1 Like · 451 Views
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