बदलता शहर
विकास की राह में संस्कारों को खो रहा है
पैसों के लालच में ईमान को बेच रहा है
कुछ इस तरह मेरा शहर आगे बढ़ रहा है…
गैरों के लिए अपनों से दगा कर रहा है
शोहरत के लिए सपनों को मार रहा है
कुछ इस तरह मेरा शहर आगे बढ़ रहा है….
प्यार की राहों में वह नफरत दे रहा है
दोस्ती के नाम पर फायदा उठा रहा है
कुछ इस तरह मेरा शहर आगे बढ़ रहा है…..