बदरा कोहनाइल हवे
बदरा कोहनाइल हवे, कवन बुझाई प्यास |
समझे ना निर्मोहिया, धरती हई उदास ||
ऐ मेघा समझल करऽ, बहुत भइल अब देर |
पछुआइल हऽ रोपनी, खेती भइलि अनेर||
बदरा कोहनाइल हवे, कवन बुझाई प्यास |
समझे ना निर्मोहिया, धरती हई उदास ||
ऐ मेघा समझल करऽ, बहुत भइल अब देर |
पछुआइल हऽ रोपनी, खेती भइलि अनेर||