Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Apr 2023 · 1 min read

बदनाम होने के लिए

ज़िन्दगी की दौड़ में नाकाम होने के लिए
लिख रहा हूं यह ग़ज़ल बदनाम होने के लिए

हर किसी को चाहिए अब ज़िन्दगी आराम की
हर कोई बेसब्र है गुलफ़ाम होने के लिए

बन गए वो कंस , रावण और दुर्योधन सभी
ज़िन्दगी जिनको मिली थी राम होने के लिए.

आम को जब से कहा जाने लगा राजा यहां
हर समर (फल) बेताब है अब आम होने के लिए

एक पागल गा रहा है शाम से गलियों में फिर
मय ज़रूरी है मुकम्मल शाम होने के लिए

–शिवकुमार बिलगरामी

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 1401 Views

You may also like these posts

रिश्ता
रिश्ता
Santosh Shrivastava
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
SATPAL CHAUHAN
उद्देश और लक्ष्य की परिकल्पना मनुष्य स्वयं करता है और उस लक्
उद्देश और लक्ष्य की परिकल्पना मनुष्य स्वयं करता है और उस लक्
DrLakshman Jha Parimal
ग़ज़ल-जितने घाव पुराने होंगे
ग़ज़ल-जितने घाव पुराने होंगे
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
मुझे इश्क़ है
मुझे इश्क़ है
हिमांशु Kulshrestha
4755.*पूर्णिका*
4755.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तनहाई के दौर में,
तनहाई के दौर में,
sushil sarna
बस चार है कंधे
बस चार है कंधे
साहित्य गौरव
गीत
गीत
Shweta Soni
रफ्ता रफ्ता हमने जीने की तलब हासिल की
रफ्ता रफ्ता हमने जीने की तलब हासिल की
डॉ. दीपक बवेजा
वो इँसा...
वो इँसा...
'अशांत' शेखर
दुनिया से सीखा
दुनिया से सीखा
Surinder blackpen
जीवन यात्रा
जीवन यात्रा
विजय कुमार अग्रवाल
हर घर में जब जले दियाली ।
हर घर में जब जले दियाली ।
Buddha Prakash
कर्मठ बनिए
कर्मठ बनिए
Pratibha Pandey
अज़ाब होती हैं
अज़ाब होती हैं
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
इम्तिहान
इम्तिहान
Mukund Patil
Struggle to conserve natural resources
Struggle to conserve natural resources
Desert fellow Rakesh
D. M. कलेक्टर बन जा बेटा
D. M. कलेक्टर बन जा बेटा
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
किसने कहा, आसान था हमारे 'हम' से 'तेरा' और 'मेरा' हो जाना
किसने कहा, आसान था हमारे 'हम' से 'तेरा' और 'मेरा' हो जाना
Manisha Manjari
None Other Than My Mother
None Other Than My Mother
VINOD CHAUHAN
एक पल हॅंसता हुआ आता है
एक पल हॅंसता हुआ आता है
Ajit Kumar "Karn"
sp,98 तुमको भी भूलेगी पीढ़ी
sp,98 तुमको भी भूलेगी पीढ़ी
Manoj Shrivastava
शिवोहं
शिवोहं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कर्मों का है योग हो रहा,
कर्मों का है योग हो रहा,
श्याम सांवरा
मुश्किलें जरूर हैं, मगर ठहरा नहीं हूँ मैं ।
मुश्किलें जरूर हैं, मगर ठहरा नहीं हूँ मैं ।
पूर्वार्थ
.......,,,
.......,,,
शेखर सिंह
यूँ ही क्यूँ - बस तुम याद आ गयी
यूँ ही क्यूँ - बस तुम याद आ गयी
Atul "Krishn"
Loading...