बदनसीब कश्ती
जिस कश्ती को उसका नाखुदा छोड़ गया,
मझधार में पड़ी उस कश्ती का खुदा मालिक है ।
कैसे थामेंगे अब उसकी पटवार भी हम ,
जबकि अब उसपर गैरों का हक है ।
जिस कश्ती को उसका नाखुदा छोड़ गया,
मझधार में पड़ी उस कश्ती का खुदा मालिक है ।
कैसे थामेंगे अब उसकी पटवार भी हम ,
जबकि अब उसपर गैरों का हक है ।