बढ़ी हैं दूरियाँ दिल की भले हम पास बैठे हों।
बढ़ी हैं दूरियाँ दिल की भले हम पास बैठे हों।
बड़ा खुद को समझने की विरासत छोड़ देते हैं।
गलतफ़हमी तुम्हे भी है गलतफ़हमी हमे भी है।
चलो कुछ देर के खातिर सियासत छोड़ देते हैं।।
प्रभु नाथ चतुर्वेदी’कश्यप’