बढ़ावा ए बर्बादी !
अरे दो लोग आ गये हो ! बहुत है , आठ लोगों की ड्यूटी में ! तब तक सॅभालो ! बाकी लोग एक , दो , तीन या चाहे जब आएँ ! कोई फर्क नहीं पड़ता ! सब लोग मौज से ड्यूटी करो !
ड्यूटी पर आते ही फणीस माडर्न सुपरवाईजर वह भी देश की डिफेंस के बाद नंबर दो पर आने वाली संस्था के ! ऊपर से अपनी तो कोई यूनियन नहीं तो घुस लिए थे एक टुटपुँजिया पद लिए मजदूरों की यूनियन में और आज बढ़ावा दे रहे थे मजदूरों को किस बात का ! समझ से बाहर था ; समय पर पॅहुचे मजदूर कर्मी सुरेश के । कम पढ़ा-लिखा था जो वह ; अतः शांत व चुपचाप ड्यूटी पर लग गया था ।
जबकि फणीस ने शादी की थी राज्य सरकार में बिजली विभाग में समान पद पर कार्यरत महिला से लेकिन निगम होने में होने के कारण वेतन में आगे थी ।जबकि उसके खानदान में कभी भी घर की इज्जत रूपी महिला ने नौकरी हेतु बाहर कदम नहीं रखा था ।
और फणीस तो बस वाहवाही लूट रहा था पत्नी के दमपर कि यदि वह नौकरी में कहीं पर बुरा फॅस भी गया तो पत्नी वेतन तो है और यही सोच वह हवा देता जा रहा था जबकि समकक्ष उससे इस कमीनेपन से बात तक नहीं करते थे ।
रवि तीन घंटे बाद आकर सुरेश संग लग गया था यह कहते हुए कि साहेब बहुत अच्छे हैं । यह सुन सुरेश कम दिमाग होते हुए भी इतना सोच ही ले गया कि ये साहेब अच्छा तो है जो संस्था को ही डुबाने में लगा है और मेरे जैसे समय पर आने वालों की मरने । सोच रहा था तभी रवि ने पूँछा कि क्या सोचने लगे भाई ! तो वह धीरे से बोला कि यही यही कि साहेब ! बहुत अच्छे हैं !