बढ़ना है आगे तो
बढ़ना है आगे तो ,
काँटों पर भी चलना होगा ।
कर्म रूपी भट्टी में तपकर ,
सूर्य सा हर पल जलना होगा ।
निकलना है तूफ़ानों से तो ,
हवाओं का रुख़ मोड़ना होगा ।
सागर सा रह स्थिर ,
गहराई से विचार करना होगा ।
उठना है ऊपर तो ,
मोह से दामन छुड़ाना होगा ।
ख़्वाहिश रूपी टिमटिमाते तारों को छोड़ ,
रातों को चाँद सा जगना होगा ।
पानी है मंज़िल तो ,
ठोर – ठिकानों को छोड़ना होगा ।
मुसीबतों को सीढ़ी बनाकर ,
सफलता रूपी चोटी तक पहुँचना होगा ।
अमावस्या सी हों परिस्थितियाँ तो ,
उत्साह का दीप प्रज्वलित करना होगा ।
ज्ञान को बना आधार ,
निश्चय अडिग करना होगा ।
पनपना है जग रूपी उपवन में तो ,
हर मौसम में वृक्ष सा दृढ़ खड़े रहना होगा ।
फैलाकर साहस रूपी टहनियाँ ,
कटने के डर से बढ़ना नहीं छोड़ना होगा ।
बढ़ना है आगे तो,
पीछे देखना छोड़ना होगा ।
अंधेरों में उम्मीद की रोशनी फैलाकर ,
उद्देश्य को पूर्ण करना होगा ।
बढ़ना है आगे तो ,
काँटों पर भी चलना होगा ।
कर्म रूपी भट्टी में तपकर ,
सूर्य सा हर पल जलना होगा ।
इंदु नांदल , विश्व रिकॉर्ड होल्डर
इंडोनेशिया
स्वरचित