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2 May 2024 · 1 min read

बढ़ना चाहते है हम भी आगे ,

बढ़ना चाहते है हम भी आगे ,
मगर कोई चीज कदमों को रोकती है।
एक हमारी कमनसीबी,दूजे ज़माना ,
तीसरा अपनों से मिली तौहीन हमें रोकती है ।

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Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
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