बड़े भाग मानुष तन पावा
अभी परसों की घटना है , लखनऊ विश्वविद्यालय के एक छात्रावास में BFA की एक छात्रा ने फांसी लगा ली । इस कदम के पीछे की हकीकत क्या है? नहीं पता । लेकिन लोगों का कहना है छात्रा ने किसी लड़के के प्रेम में पड़कर यह कदम उठाया है । हमारे समाज की यह बहुत बड़ी विडंबना है कि लोग कार्य-कारण संबंध बहुत जल्दी स्थापित कर लेते हैं । ख़ैर ….कारण चाहे जो रहा हो लेकिन उस छात्रा का यह कदम निंदनीय है । हमारे माता-पिता कुछ उम्मीद लिए खुद से दूर , हमें पढ़-लिखकर अपने जीवन में कुछ करने के लिए भेजते हैं । क्या हम सबका यह कर्त्तव्य नहीं कि हम उनकी उम्मीदों पर खरे उतरें ? कोई भी कारण इतना बड़ा नहीं हो सकता कि उसके लिए हम अपने इस खूबसूरत जीवन का अंत कर दें । शायद आज की पीढ़ी संघर्ष करना और विषम परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करना भूल गई है । उसे संघर्ष करने से कहीं ज्यादा आसान लगता है इस जीवनलीला को समाप्त कर देना । परंतु हमारी आज की युवा पीढ़ी को यह नहीं भूलना चाहिए कि संघर्षों में तपकर ही व्यक्तित्व निखरता है और हमारा इतिहास इसका प्रमाण है ।
एक बात अभिभावकों के लिए भी कहना चाहूंगी कि आप लोग अपने बच्चों से थोड़ा मित्रवत् व्यवहार रखें ताकि वो आपसे अपनी परेशानी साझा कर सकें । किसी से प्रेम करना ग़लत नहीं है लेकिन हमारे समाज में इसे इतनी निकृष्ट कोटि में डाल दिया गया है कि बच्चे ऐसी बातें साझा करते डरते हैं । ऐसे में आपका व्यवहार ही उन्हें ऐसी समस्याओं को आपसे बांटने की ताकत दे सकता है ।
इस घटना पर और मेरी इस प्रतिक्रिया पर आपके विचार सादर आमंत्रित हैं