जिस घर में भी हों सास 【गीत】
* बड़े काम की होती हैं जिस घर में भी हों सास 【गीत】*
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बड़े काम की होती हैं जिस घर में भी हों सास
(1)
दिन-भर घर में रहकर घर की चौकीदारी करतीं
सदा कामवाली बाई को इस ही लिए अखरतीं
सुबह बहू को रोज नाश्ता झटपट बना खिलातीं
थकी बहू दफ्तर से आती तो फिर चाय पिलातीं
पोते – पोती का मन बहले जिम्मेदारी खास
(2)
घर मर्यादा में रहता है यदि सासू माँ रहतीं
डाँट लगातीं बेटे को कुछ कभी बहू से कहतीं
इनके कारण ही बनता है घर में आम-अचार
इनके कारण सदा अतिथियों का घर में सत्कार
साड़ी सही बाँधने का है इनको ही अभ्यास
(3)
सास अगर होती हैं तो गीता-रामायण गातीं
जाने कितने किस्से पुरखों वाले सदा सुनातीं
रोज नई सब्जियाँ प्रेम से सौ-सौ बार बनातीं
भूले – बिसरे त्योहारों को यह ही रही मनातीं
बहू – पुत्र में प्रेम रहे यह इनका सदा प्रयास
बड़े काम की होती हैं जिस घर में भी हों सास
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451